हिंदू साहित्य
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हिन्दुओं के प्रमुख ग्रंथ
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[बदलें] वेद
वेद ४ हैं जो हिन्दुओं के सबसे प्राचीन और मूल ग्रंथ हैं। इन्हें विश्व के सबसे प्राचीन साहित्य होने का गौरव भी हासिल है। पूर्व समय में छपाई (Printing) की सुविधा ना होने के कारण गुरु अपने शिष्यों को बोल कर याद कराते थे। सुन कर याद रखना और अगली पीढ़ी को उसी प्रकार सुना कर उन्हें देने के कारण इनका नाम श्रुति भी है। ४ वेद इस प्रकार हैं:- १। ऋग्वेद २। यजुर्वेद ३। अथर्ववेद ४। सामवेद हिन्दुओं के लगभग सभी धार्मिक ग्रंथों की तरह ये संस्कृत में हैं। ये काव्य की तरह दो पंक्तियों में लिखे जाते हैं जिन्हें श्लोक कहते हैं। ऋग्वेद के श्लोकों को ऋचा कहा जाता है।
[बदलें] उपनिषद
उपनिषदों को वेदों का अन्तिम भाग भी क्हते हैं और इसलिये इन्हें वेदान्त भी कहा जाता है। वेदान्त की मूल अवधारणा अद्वैतवाद है। उपनिषदों की संख्या १०८ कही जाती है और इनकी रचना अलग अलग समय में हुई थी।
[बदलें] पुराण
पुराण का अर्थ होता है इतिहास। इनमें राजा, महाराजाओं और भगवान के विभिन्न अवतारों की कहानियां हैं।
[बदलें] महाकाव्य
कुछ ऐसे ग्रंथ हैं जो पुराणों की तरह हैं। जैसे रामायण एवं महाभारत जो विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है।
[बदलें] गीता
गीता हिन्दुओं का सबसे मह्त्वपूर्ण ग्रन्थ माना जाता है। यह महाभारत का ही एक भाग है। विश्व की सभी महत्वपूर्ण भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है।