वेद

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वेद शब्द संस्कृत भाषा के "विद्" धातु से बना है जिसका अर्थ है: जानना, ज्ञान इत्यादि। वेद हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है । वेदों को श्रुति भी कहा जाता है, क्योकि माना जाता है कि इसके मन्त्रों को परमेश्वर (ब्रह्म) ने प्राचीन ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था जब वे गहरी तपस्या में लीन थे । वेद प्राचीन भारत के वैदिक काल की वाचिक परम्परा की अनुपम कृति है जो पीढी दर पीढी पिछले चार-पाँच हजार वर्षों से चली आ रही है । वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ हैं ।

[बदलें] वैदिक स्वर प्रक्रिया

वेद की संहिताओं में मंत्राक्षरॊं में खड़ी तथा आड़ी रेखायें लगाकर उनके उच्च, मध्यम, या मन्द संगीतमय स्वर उच्चारण करने के संकेत किये गये हैं। इनको उदात्त, अनुदात्त ऒर स्वारित के नाम से अभिगित किया गया हैं। ये स्वर बहुत प्राचीन समय से प्रचलित हैं और महामुनि पतंजलि ने अपने महाभाष्य में इनके मुख्य मुख्य नियमों का समावेश किया है ।

[बदलें] चार वेद

वेद के असल मन्त्र भाग को संहिता कहते हैं ।

  • ऋग्वेद (इसमें देवताओं का आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं -- यही सर्वप्रथम वेद है)
  • सामवेद (इसमें यज्ञ में गाने के लिये संगीतमय मन्त्र हैं)
  • यजुर्वेद (इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य मन्त्र हैं)
  • अथर्ववेद (इसमें जादू, चमत्कार, आरोग्य, यज्ञ के लिये मन्त्र हैं)

[बदलें] चार भाग

हर वेद के चार भाग होते हैं । पहले भाग (संहिता) के अलावा हरेक में टीका अथवा भाष्य के तीन स्तर होते हैं । कुल मिलाकर ये हैं :

ये चार भाग सम्मिलित रूप से श्रुति कहे जाते हैं जो हिन्दू धर्म के सर्विच्च ग्रन्थ हैं । बाकी ग्रन्थ स्मृति के अन्तर्गत आते हैं ।