मैथिली
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जो देशों में प्रचलित | भारत (बिहार), नेपाल, फ़िजी, मालदीव | |
कुल बोलनेवाले | 24 मिलियन (मातृभाषा)
13 मिलियन (द्वितीय भाषा) |
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विज्ञान वर्गीकरण |
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राजभाषा | भारत (बिहार) | |
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आइएसओ 639-1: | bh | |
आइएसओ 639-2: | (B) mai | (T) SIL=MAI |
मैथिली मुख्य रूप से भारत में उत्तरी बिहार और नेपाल के तराई के ईलाक़ों मे बोली जानेवाली भाषा है। यह प्राचीन भाषा इन्डो-आर्यन परिवार का सदस्य है और भाषाई तौर पर बांग्ला, असमिया, उड़िया और नेपाली से इसका काफी निकट का संबंध है । इसे हिन्दी तथा बांग्ला दोनो की बोली (स्थानीय रूप) माना जाता है ।
अनुक्रमणिका |
[बदलें] लिपि
पहले इसे मिथिलाक्षर तथा कैथी लिपि में लिखा जाता था जो बांग्ला और असमिया लिपियों से मिलती थी पर कालान्तर में देवनागरी का प्रयोग होने लगा ।
[बदलें] शीर्षक
[बदलें] विकास
प्राचीन मैथिली के विकास का शुरूआती दौर प्राकृत और अपभ्रंश के विकास से जोड़ा जाता है। लगभग 1300 इस्वी से आसपास इसमें रचनाएं लिखी जाने लगी । विद्यापति मैथिली के आदिकवि तथा सर्वाधिक ज्ञात कवि हैं । विद्यापति ने मैथिली के अतिरिक्त संस्कृत तथा अवहट्ट में भी रचनाएं लिखीं । ये वो दो प्रमुख भाषा हैं जहां से मैथिली का विकास हुआ ।
[बदलें] उपयोग
लगभग ३ से ४ करोड़ लोग मैथिली को मातृ-भाषा के रुप में प्रयोग करते हैं और इसके प्रयोगकर्ता भारत के विभिन्न हिस्सों सहित विश्व के कई देशों मे फैले हैं।
[बदलें] साहित्य
मैथिली साहित्य का अपना समृद्ध इतिहास रहा है और चौदहवीं तथा पंद्रहवीं शताब्दी के कवि विद्यापति को मैथिली साहित्य में सबसे ऊँचा दर्जा प्राप्त है। वर्तमान काल मे डा. हरिमोहन झा एवं नागार्जुन मैथिली भाषा के प्रमुख लेखक माने जाते हैं|
[बदलें] स्थिति
भारत की साहित्य अकादमी द्वारा मैथिली को साहित्यिक भाषा का दर्जा पंडित नेहरू के समय 1965 से हासिल है। वर्ष 22/ 12/ २००३ में भारत सरकार द्वारा मैथिली को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में भी शामिल किया गया है।