विरल्मिन्द
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
विरल्मिन्द एक नायनमार सन्थ था तमिल नादु से ।
[बदलें] बच्च्पन
वोह सेनगुनुरु गओ मे जनम लिया और वेल्लला जाति से था ।
[बदलें] यात्र
सेनगुरु तो किया औत तिरुवरूर को आया और मन्दिर तो जया । एक दिन विरल को शन्कर भग्वान को पुजा दिया था । ये शरारत देखा और उस्को गुस्सा आया ।
विरल को सुन्दरार को बोला
“ | आपनें भगवान शिव के भक्तों का अपमान किया है / आपके इस कृत्य से यह आभासित है कि आप शिव भक्तों के समूहों के बीच में रहनें के योग्य नहीं हैं/ इस कारण आपको समूह के बीच में रहनें से वंचित किया जाता है/ और शिव नें आपके हाथें दृवारा समर्पित असम्पूर्ण पूजा को बिना कोई विचार किये स्वीकार कर लिया/ किसी विजातीय दृवारा किये ऐसे कृत्य को आध्यात्मिक स्वरूप में सम्मान के साथ उचित स्थान देना चाहिये | ” |
सुन्दरार के विरल का श्रद्दा देखा | प्रनाम किया विरल को और विरल क भाव और भक्ति को सराहना किया । एक पैदगम गाया था विरल का प्रशंस मे । इस्के बाद शन्कर भग्वान विरल क गौरव को बताया और स्वर्ग-लोक को जाया । स्वर्ग-लोक मे विरल तो गन क राजा बनाया ।
[बदलें] बहार
- ६३ नयनार - स्वमि शिवानन्द
ये हिन्दु व्यक्ति का लेख अपनी प्रारम्भिक अवस्था में है, यानि कि एक स्टब है। आप इसे बढाकर विकिपीडिया की मदद कर सकते है।