अमृता प्रीतम

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अमृता प्रीतम
अमृता प्रीतम

पंजाबी और हिन्दी की प्रसिद्ध कवियित्री श्रीमती अमृता प्रीतम भारत के ऊंचे से ऊंचे कवियों साहित्यकारों की श्रेणी में प्रतिष्ठित हुयीं। यह इस बात का प्रमाण है कि पंजाबी कविता की अपनी एक अलग पहचान है, उसकी अपनी शक्ति है, अपना सौंदर्य है, अपना तेवर है और अमृता प्रीतम उसका प्रतिनिधित्व करती हैं।

अमृता प्रीतम का जन्म १९१९ में गुजरांवाला पंजाब में हुआ। बचपन बीता लाहौर में, शिक्षा भी वहीं हुई। किशोरावस्था से लिखना शुरू किया: कविता, कहानी और निबंध। प्रकाशित पुस्तकें पचास से अधिक। महत्त्वपूर्ण रचनाएं अनेक देशी विदेशी भाषाओं में अनूदित।

१९५७ में साहित्य अकादमी पुरस्कार, १९५८ में पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा पुरस्कृत, १९८८ में बल्गारिया वैरोव पुरस्कार;(अन्तर्राष्ट्रीय) और १९८२ में भारत के सर्वोच्च साहित्त्यिक पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

प्रमुख कृतियां:

  • उपन्यास: पांच बरस लंबी सड़क, पिंजर, अदालत,कोरे कागज़, उन्चास दिन, सागर और सीपियां, नागमणि, रंग का पत्ता, दिल्ली की गलियां, तेरहवां सूरज
  • आत्मकथा: रसीदी टिकट
  • कहानी संग्रह: कहानियां जो कहानियां नहीं हैं, कहानियों के आंगन में
  • संस्मरण: कच्चा आंगन, एक थी सारा ।
  • कविता संग्रह: चुनी हुई कविताएं

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