सूक्तय:

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Contents

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  1. अङ्गुलिप्रवेशात्‌ बाहुप्रवेश:|
  2. अजा सिंहप्रसादेन वने चरति निर्भयम्‌|
  3. अति तृष्णा विनाशाय|
  4. अतिपरिचयादवज्ञा।
  5. अतिभक्ति चोरलक्षणम्‌|
  6. अति सर्वत्र वर्जयेत्।
  7. अधिकस्याधिकं फलम्।
  8. अनतिक्रमणीया हि नियतिः।
  9. अभद्रं भद्रं वा विधिलिखितमुन्मूलयति कः।
  10. अर्थो हि लोके पुरुषस्य बन्धुः।
  11. अल्पविद्या भयङ्करी|
  12. अल्पश्च कालो बहवश्च विघ्नाः।
  13. अव्यापारेषु व्यापारः।
  14. अहिंसा परमो धर्मः।

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  1. कण्टकेनैव कण्टकमुद्धरेत्।
  2. कर्तव्यो महदाश्रयः।
  3. कवयः किं न पश्यन्ति?
  4. कालाय तस्मै नमः।
  5. काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमताम्।
  6. किमिव हि दुष्करमकरुणानाम्।
  7. किमिव हि मधुराणां मण्डनं नाकृतीनाम्।
  8. किं मिष्टमन्नं खरसूकराणाम्।
  9. कुपुत्रेण कुलं नष्टम्‌|

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  1. तमसो मा जोतिर्गमय ।

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  1. ज्ञानेन हीना: पशुभि: समाना:|
  2. जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
  3. जलबिन्दुनिपातेन क्रमशः पूर्यते घटः।
  4. जीवो जीवस्य जीवनम्।

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  1. परोपकारार्थमिदं शरीरम्।
  2. परोपदेशे पाण्डित्यम्।
  3. पुनः पुनरपि प्रक्षाल्य कज्जलं न श्वेतायते।
  4. पिण्डे पिण्डे मतिर्भिन्ना।
  5. प्रज्वालितो ज्ञानमयः प्रदीपः।
  6. प्रथमग्रासे मक्षिकापातः।
  7. प्राप्ते तु षोडशे वर्षे गर्दभी ह्यप्सरा भवेत्‌|
  8. प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्‌|

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  1. मधुरेण समापयेत्‌|
  2. मरणं प्रकृतिः शरीरिणाम्।
  3. महाजनो येन गतः स पन्थः।
  4. मातृदेवो भवः।
  5. मार्गारब्धाः सर्वयत्नाः फलन्ति।
  6. मौनं सर्वार्थसाधनम्।
  7. मौनं सम्मतिलक्षणम्।

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  1. यथा राजा तथा प्रजा।
  2. यः क्रियावान् सः पण्डितः।
  3. याचको याचकं दृष्ट्वा श्वानवत् गुर्गुरायते।
  4. यादृशं वपते बीजं तादृशं लभते फलम्।
  5. युद्धस्य कथा रम्या।
  6. येन केन प्रकारेण प्रसिद्धो पुरुषो भवेत्।
  7. योजकस्तत्र दूर्लभः।
  8. यौवने मर्कटी सुन्दरी|

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  1. रत्नं सनागच्छेतु काञ्चनेन|
  2. राजा कालस्य कारणम्।

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  1. सत्यं कण्ठस्य भूषणम्।
  2. सत्यमेव जयते।
  3. सत्यं शिवं सुन्दरम्‌|
  4. सा विद्या या विमुक्तये|
  5. सुखमुपदिश्यते परस्य।
  6. संहतिः कार्यसाधिका।
  7. स्वभावो दूरतिक्रमः।