रहीम

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[संपादित करें] जीवन परिचय

अब्दुल रहीम खानखाना का जन्म १५५६ मों हुआ था। वे अकबर के अभिभावक बैरम ख़ां के पुत्र थे। अरबी, फारसी तथा संस्कृत का उन्हें अच्छा ज्ञान था। रहीम बड़े भावुक कवि और उत्कृष्ट विद्वान थे। उनके गुणों से प्रभावित होकर अकबर ने उन्हें 'मिरजा खां' की उपाधि दी थी। वे अकबर के प्रधान सेनापति, मंत्री और उसकी सभा के नवरत्न भी रहे। १६२६ में उनका देहावसान हुआ।

[संपादित करें] भाषा शैली

रहीम ने अवधी और ब्रजभाषा दोनों में ही कविता की है जो सरल, स्वाभाविक और प्रवाहपूर्ण है। उनके काव्य में श्रृंगार, शांत तथा हास्य रस मिलते हैं तथा दोहा, सोरठा, बरवै, कवित्त और सवैया उनके प्रिय छंद हैं।

[संपादित करें] प्रमुख रचनाएं

रहीम दोहावली, बरवै, नायिका भेद, मदनाष्टक, रास पंचाध्यायी, नगर शोभा आदि।

[संपादित करें] यह भी देखें

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