आशापूर्णा देवी
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आशापूर्णा देवी एक बांग्ला साहित्यकार हैं । इन्हें 1976 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ।
व्यक्तिगत जीवनउन्होंने १३ वर्ष की अवस्था से लेखन प्रारम्भ किया और आजीवन साहित्य रचना से जुड़ीं रहीं ।
भारतीय साहित्यकार मैं तो सरस्वती की स्टेनो हूँ उनका यह कथन उनकी रचनाशीलता का परिचायक है।
गृहस्थ जीवन के सारे दायित्व को निभाते हुए उन्होंने लगभग दो सौ कृतियाँ लिखीं,
जिनमें से अनेक कृतियों का भारत की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
आशापूर्णा देवी जी की लेखनी ने नारी जीवन के विभिन्न पक्षों, पारिवारिक जीवन की समस्याओं और समाज की कुंठा और लिप्सा को अत्यंत पैनेपन से उजागर किया है।
उनकी कृतियों में नारी का वयक्ति-स्वातन्त्र्य और उसकी महिमा नई दीप्तिके साथ मुखरित हुई है।
प्रमुख रचनाएँ - स्वर्णलता, प्रथम प्रतिश्रुति, प्रेम और प्रयोजन, बकुलकथा, गाछे पाता नील, जल , आगुन