कोरथ
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कोरथ का हिन्दी शाब्दिक अर्थ मण्डप से लिया जाता है,भारत के उत्तर प्रदेश राज्य मे इटावा जिला से उन्नीस मील पश्चिम मे भदौरिया जाति के लोगों का एक गांव है,और इस गांव मे एक हवेली भग्न अवस्था मे आज भी विद्यमान है,इस हवेली मे एक सुरंग है जो कोरथ के पुराने गांव से चम्बल नदी तक गई हुई है । इस सुरन्ग को कोरथ गांव की महिलाओं को चम्बल मे स्नान के लिये कंकरीट से बनवाया गया था,भदौरिया वंश के जमींदार साहब राय ने एक नर्तकी को अपहरण करने के बाद इसी हवेली मे रखा था,वह नर्तकी मुसलमान शासक अकबर की मशहूर नर्तकी थी,सम्राट अकबर के सिपाहियों को जब पता लगा कि उनके दरबार की अपरहत नर्तकी साहब राय के पास उनकी हवेली मे है तो उन्होने उस हवेली को चारो तरफ़ से घेर कर तलासी का काम चालू कर दिया,मगर साहब राय को पहले से पता लगने के कारण उन्होने उस नर्तकी को सुरंग के रास्त चम्बल पर जाने के लिये कहा,वह सुरंग से चम्बल नदी तक नही पहुंच पायी,उससे पहले ही साहब राय ने उस सुरंग के दोनो सिरे अपने आदमियों से बन्द करवा दिये,और वह नर्तकी उसी सुरंग मे मर गई,सम्रात अकबर के सिपाही उसे खोज कर चले गये । जब से आज तक वह सुरंग बन्द है,और उस नर्तकी की आत्मा हर दिवाली के दिन हवेली मे नॄत्य करती है ऐसा कोरथ के निवासियों का विश्वास है,इस गांव के सौ प्रतिशत जवान आज भी मिलट्री मे अपनी सेवायें भारतीय सेना को दे रहे हैं ।