होरा शब्द की उतपत्ति

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”’होरा शब्द की उत्पत्ति”’

  • आद्यन्त्वर्णलोपाद्धोराशास्त्रं भवत्यहोरात्रात,तत्प्रतिबद्धस्चायं ग्रहभगण्शिचन्त्य्ते यस्मात ॥सारावली
  • अहोरात्र शब्द के आदि के ’अ’ और अन्त के ’त्र’ अक्षर का लोप करने से होरा शब्द बचता है,दिन और रात्रि इनको अहोरात्र कहते हैं,इस अहोरात्र में बारह लगन व्यतीत होते हैं,समस्त शुभाशुभ फ़ल लग्न के अधीन हैं,लग्न समय और ग्रह सूर्य के वशीभूत हैं,समय काल दिन रात्रि मे रहता है,इसलिये अहोरात्र शब्द से होरा शब्द निष्पन्न होता है,उसी में बन्धे हुए ग्रह व राशियों की शुभाशुभता का विचार करते हैं ।
  • सारांश:-भदावरी ज्योतिष अगर आज दिन शुक्रवार है,तो जिस समय सूर्य भगवान उदय हुए थे,उस समय शुक्र की होरा थी,और साधारण से रूप मे अगले होरा को जानने के लिये दिनों की गिनती उल्टी चालू करदी,एक छोड दिया,जो दूसरा आया,वही अगला होरा है,और सूर्योदय के बाद की दूसरी होरा बुध की होगी,गिनने के लिये दिनों की सीधी इस प्रकार से है:-रविवार,सोमवार,मंगलवार,बुधवार,गुरुवार,शुक्रवार,शनिवार,और जब अगले होरा की जानकारी के लिये उल्टी गिनती चालू करेंगे तो आज के दिन की पहली होरा जो सूर्योदय के समय की थी,जिस होरा के नाम से आज का दिन शुरु हुआ था,जैसा पहले बताकर आया हूँ,कि आज का दिन अगर शुक्रवार है तो इसके बाद उल्टा गिनते है,तो पहले गुरुवार और फ़िर बुधवार आयेगा,तो एक छोडने पर बुधवार मिला,यही सूर्योदय के बाद की दूसरी होरा होगी,और वार के नाम से मानी जायेगी,एक होरा अभी जो चल रही है,अपने स्वभाव से आगे आने वाली दूसरी होरा की समर्थक होगी.