लालूप्रसाद यादव

विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से

The neutrality of this article is disputed.
Please see the discussion on the talk page.

लालूप्रसाद यादव भारत के बिहार प्रांत के राजनीतिज्ञ है। वे भारत के वर्तमान मंत्रिमण्डल मे केन्द्रीय रेल मंत्री है।

अनुक्रमणिका

[संपादित करें] लालू का इतिहास

बिहार के गोपालगंज में आजादी के एक साल बाद 1948 में एक निहायत ही गरीब परिवार में जन्मे लालू ने राजनीति की शुरूवात जयप्रकाश आन्दोलन से की, तब वे एक छात्र नेता थे, और बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि लालू ने वकालत भी की हुई है। 1977 में आपातकाल(इमरजेंसी) के बाद हुए लोकसभा चुनाव में लालू जीते और पहली बार लोकसभा पहुँचे, तब उनकी उम्र मात्र 29 साल थी। 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे। लेकिन सबसे सही समय उनके जीवन मे आया 1990 में जब वह बाकी धुरंधर और घाघ नेताओं को छकाते और ठेंगा दिखाते हुए बिहार के मुख्यमंत्री बने। यह अत्यन्त अप्रत्याशित था तो असंतोष स्वाभाविक ही था, अनेक आंतरिक विरोधों के बावजूद वे अगले चुनाव यानि कि 1995 मे भी भारी बहुमत से विजयी रहे और अपने आपको सही साबित किया। लालू के जनाधार मे MY यानि मुस्लिम और यादवो के फैक्टर का बङा योगदान है, लालू ने इससे कभी इन्कार भी नहीं किया, और लगातार अपने जनाधार को बढाते रहे।

लेकिन जैसा कि हर राजनेता के जीवन मे कुछ कठिन पल आते है, सो 1997 में जब सीबीआई ने उनके खिलाफ चारा घोटाले में आरोप पत्र दाखिल किया तो उन्हे मुख्यमंत्री पद से हटना पङा, लेकिन अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंपकर वे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बने रहे, और अपरोक्ष रूप से सत्ता की कमान भी उनके हाथ ही रही। चारा मामले मे लालू को जेल भी जाना पङा, बहुत नौटंकी भी हुई और उनको कई महीने तक जेल में भी रहना पङा, लेकिन बिहार में लालू को हिलाने वाला अब तक पैदा नहीं हुआ था। फिर पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए की करारी हार के बाद के बाद लालू को दिल्ली की सत्ता में योगदान करने की सूझी, लालू तो गृह मन्त्री बनना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस के दबाव और काफी हीलहुज्जत के बात रेलमन्त्री बनने को राजी हो गये। यह बात और है कि विपक्ष अभी भी उनका बायकाट करता है, लेकिन लालू को कोई परवाह नहीं।

लालू को पता है, कि कब क्या कहना है, कितना कहना है और कैसे कहना है, किसी विस्फोटक बात को कहते समय भी लालू के चेहरे पर शिकन नहीं आती और वे मासूमियत का लबादा ओढे रहते है। बिहार के मामले मे लालू को पता है कि कब किस दल मे तोड़फोड़ करनी है, कब किसे और कहाँ शिकस्त देनी है। लेकिन अपनी पार्टी पर उनका एकक्षत्र राज है, मजाल है कि कोई चूँ भी कर जाये… बाकायदा बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।

[संपादित करें] शौक

लालू ने काफी लेख भी लिखे है मुख्यतः राजनीतिक और आर्थिक विषयों पर , उनका शौंक है बड़े बड़े आन्दोलनकारियों की जीवनिया पढना और राजनीतिक चर्चा करना…. संगीत के नाम पर लोकगीत इन्हे बहुत पसन्द है, और खेलो मे क्रिकेट मे दिलचस्पी है, वे बिहार क्रिकेट एसोसियेशन के अध्यक्ष भी है. और उनका सपुत्र एक अच्छा क्रिकेटर भी है.लालू ने एक फिल्म मे भी काम किया जिसका नाम उनके नाम पर ही है, यह बात दीगर है कि इस फिल्म का उनसे कुछ भी लेना देना नही है. रेलवे मन्त्री रहते हुए भी लालू काफी विवादास्पद रहे…..रेलवे मे कुल्हड़ चलाने का मामला हो या विलेज ओन व्हील गाड़िया, लालू का इन सबके पीछे अपना तर्क है. लालू ने वही किया जो उनके मर्जी मे आया, सिवाय सोनिया गांधी के वे यूपीए मे किसी भी नेता को घास नही डालते, हमेशा अपनी मनमर्जी करते है.लालू के रिश्तेदार भी लालू के राजनीतिक सफर मे काफी रूकावटे खड़ी करते है, साले साधू यादव,सुभाष यादव या हो या परिवार के बाकी लोग, हमेशा किसी ना किसी तरह लालू के लिये आफते लाते रहे है.वैसे भी लालू हमेशा नये नये विवादो मे घिरते रहते है अभी पिछले दिनो वे बिहार मे गरीबो मे पैसे बाँटते हुए देखे गये थे..जो चुनाव आचार संहिता का सीधा सीधा उल्लंघन है….. विरोधियो ने पुरजोर विरोध किया, लेकिन लालू है कि असर ही नही.

[संपादित करें] लालू के कुछ मजेदार वक्तव्य

  • “मै बिहार की सड़के हेमा मालिनी के गालों जैसी चिकनी करवा दूँगा.”
  • “भारतीय रेलवे और रेल यात्रियो सुरक्षा की जिम्मेदारी भगवान विश्वकर्मा की है, मेरी नही” रेलवे हादसों के संदर्भ मे बोलते हुए.
  • “यदि हम माल भाड़ा बढाते है तो लोग सड़क द्वारा माल भेजना शुरु कर देंगे जिससे सड़को की हालत और भी खराब हो जायेगी“
  • “मै बहुत काम करता हूँ, अगर मेरे को आराम नही मिलता है तो मै पगला जाता हूँ” यह पूछे जाने पर कि आप सैलून मे क्यों सफर करते है.
  • “मै आपको क्यों बताऊ कि रेलवे इन परियोजनाओ के लिये धन कहाँ से लायेगा….हमारे विरोधी एलर्ट ना हो जायेंगे.” रेलवे बजट पर पूछे गये सवालों के जवाब मे.
  • “पासवान की पार्टी मे तो सब लफंगा एलिमेन्ट भरा पड़ा है“

[संपादित करें] लालू का अन्दाज

अपनी बात कहने का लालू का खास अन्दाज है, यही अन्दाज लालू को बाकी राजनेताओ से अलग करता है, इनको देखकर मुझे स्वर्गिय नेता राजनारायण की याद आती है, जो मसखरी मे लालू से कुछ कदम आगे थे, लेकिन लालू का अन्दाज ही कुछ निराला है.पत्रकार तो इनके आगे पीछे मन्डराते रहते है, और बस इन्तजार करते है कि कब लालू कुछ बोलें और ये लोग छापे…..सीधा साधा मामला है, लोग लालू के बारे मे पढना पसन्द करते है. बिहार की सड़को को हेमा मालिनी के गालों की तरह बनाने का वादा हो या रेलवे मे कुल्हड़ की शुरुवात, लालू हमेशा से ही सुर्खियों मे रहे.इन्टरनेट मे आप लालू के लतीफों का अलग ही सेक्शन पायेंगे…. लालू के आलोचक चाहे कुछ भी कहें मेरी नजर मे लालू एक घाघ, शातिर,आक्रामक और हाजिरजवाब राजनेता है,जिनका एक अच्छा खासा जनाधार है.

लालू का एक ही सपना है, भारत का प्रधानमन्त्री बनना, अब देंखे इनका यह सपना कब पूरा होता है.

[संपादित करें] साक्षात्कार

अन्य भाषायें