वर्ण
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हिन्दू धर्म में लोगों को जिन वर्गों में विभाजित किया गया है उन वर्गों को वर्ण कहते हैं।
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[संपादित करें] उत्पत्ति
वर्णों कि उत्पत्ति के दो मान्य सिद्धन्त हैं।
[संपादित करें] धार्मिक उत्पत्ति
धर्म के अनुसार श्रिष्टी के बनने के समय मानवों को उत्पत्त करते समय ब्रह्मा जी के विभिन्न अंगों से उत्पन्न होने के कारण कई वर्ण बन गये।
- सर(मस्तिष्क) से ब्राह्मण उत्पन्न हुए।
- भुजाओं से क्षत्रीय उत्पन्न हुए।
- पेट से वैश्य उत्पन्न हुए।
- पैर से शूद्र उत्पन्न हुए।
इसके अलावा
- काया से कायस्थ उत्पन्न हुए।
[संपादित करें] इतिहासकारों के अनुसार उत्पत्ति
भारत मे लोगों को उनके द्वारा किये गये कार्य के अनुसार अलग-अलग वर्गों में रखा गया था
- पूजा-पाठ व पढ़ई-लिखाई इत्यादि कार्यो को करने वाले ब्राह्मण
- युद्ध आदि कार्यों को करने वाले क्षत्रीय
- व्यापार आदि कार्यों को करने वाले वैश्य
- मजदूरी व निम्न कोटि के कार्यों को करने वाले शूद्र
- कायस्थों कि उत्पत्ति का कोई मूल ज्ञात नही है।