सदस्य:Astrobhadauria
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
ज्योतिष और वास्तु-शास्त्र के विषय मे संसार में भ्रांतियां फ़ैली हैं,उन भ्रांतियों का कारण केवल अपनी अपनी हाँकना है.अगर जो विषय है और उस विषय के प्रति पूरी जानकारी है,तो किसी के बारे मे कहना,और विषय-वस्तु का प्रतिपादन करना ही उचित रहता है,बिना जाने पहिचाने किसी के लिये अक्स्मात कहने लगना मात्र झूठ के अलावा और कुछ नहीं हो सकता है. पुराने जमाने से पंडित अपने लिये जीविका के प्रति लालियत रहा करते थे,और जो गूढ विषय थे,उनको वे हमेशा छुपा कर रखते थे.इस छुपाउ करने का परिणाम जब सामने आया तो हिन्दू-कलेन्डर को भी उन्होने इतना भेद वाला बना दिया कि अगर तारीख भी जाननी है तो पंडितों को बिना दक्षिणा दिये,वह भी पता नही चल सकती थी.इन कलेन्डरों का एक दुष्परिणाम सामने यह आया कि लोगों की समझ न आने के कारण हर [भारतीय-त्यौहार]] अलग अलग दिनो मे मनाये जाने लगे,एक गांव या एक प्रांत मे होली,दिवाली,दशहरा,रक्षाबंधन दो दो दिन मनाये जाने लगे.इन सब कारणों को देख कर दिमाग मे ज्योतिष के प्रति अच्छी और बुरी दोनों तरह की बातें दिमाग में आने लगीं,आज से लगभग २५ वर्ष पहले से इन बातों मे लगातार रहने के कारण जो भी अच्छे बुरे परिणाम लोगों के मानसिक विचारों,और प्रकॄति आदि से मिले उनके लिये एक अलग ही विषय भदावरी-ज्योतिष का प्रतिपादन कर डाला । इसके अन्दर साधारण रूप से प्रयुक्त ज्योतिष विषय से दूर हट कर जो साक्षात सामने आता है,वही प्रकट करने की कोशिश की है. भदावरी-ज्योतिष के आपको पहले भदावर के बारे मे बताना उचित समझूंगा,यह क्षेत्र भारत के उत्तर प्रदेश में जिला इटावा,आगरा,मध्य प्रदेश के भिन्ड,राजस्थान के धौलपुर में फ़ैला हुआ है,इस क्षेत्र मे रहने वाले भदावरी-पंडित ज्योतिष के मामले मे और शकुन-शास्त्र के प्रति बहुत ही ज्ञानी माने जाते हैं. मेरा नाम रामेन्द्र सिंह भदौरिया है,मेरा जन्म इसी भदावर क्षेत्र मे उत्तर प्रदेश के आगरा जिला की बाह तहसील के कोरथ गांव मे हुआ था,जन्म से ही कोई जिम्मेदारी वाला काम पास में नही होने से मेरा मन भी भदावरी-पंडितों के साथ रहकर उनके द्वारा प्रयोग किये जाने वाले ज्योतिषीय-हथियार और उनको प्रयोग करने का ज्ञान मिलता रहा । इस क्षेत्र मे लगातार रहने और बेहडिया भटकाव मिलने के बाद,जो सहोदर थे,उन लोगों ने धन का भाव दिमाग मे आने के बाद मुझे दू्ध की मक्खी बनाकर छोड दिया था,अकेला जीवन और इस ज्ञान की जिज्ञासा दोनो के सम्म्लित होने से यह शरीर लगातार चलता रहा,और चलते रहने से हजारों लाखों लोगों से मिलने के बाद ज्योतिष के लिये देशाटन फलीभूत हो गया.इसके लिये मैने लोगों की जो गलत धारणा भारतीय-ज्योतिष के प्रति बनी थी,उसे दूर करने के लिये एक मुफ़्त मे प्रयोग की जाने वाली साइट आस्ट्रोभदौरिया बनाई,इसके बनाने के बाद लाखो लोगों ने अपने अपने बारे मे जो कुछ भी जा्नना चाहा उसका जबाब दिया,जब उनको जबाब फ़्री मे मिलने लगा तो ज्ञान का मूल्य भी बढने लगा,लोगों ने सराहना भी की और हिम्मत भी दी. जो कुछ मैने अपने पूरे जीवन मे कमाया है,वह सब इस जिज्ञासु संसार को समर्पित है.