आश्चुताश्म
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कन्दरा की छत से रिसता हुवा जल धीरे-धीरे टपकता रहता हैं । इस जल में अनेक पदार्थ घुले रहते हैं । अधिक ताप के कारण वाष्पीकरण होने पर जल सूखने लगता हैं तथा कन्दरा की छत पर पदार्थों का निक्षेप होने लगता हैं । इस निक्षेप की आक्र्ति परले स्तंभ की तरह होती हैं जो छत से नीचे फर्श की ओर विकसित होते हैं ।
भूमिगत जल कृत स्थलाकृति | ![]() |
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