अफ़ीम की लड़ाई
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उन्नासवीं सदी के मध्य में चीन और मुख्यतः ब्रिटेन के बीच लड़ी गई लड़ाई को अफ़ीम की लड़ाई (अंग्रज़ी-Opium Wars,ओपियम वॉर्स ) कहते हैं । चीन के कानून के अनुसार अफ़ीम का आयात करना प्रतिबंधित था । पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा पटना में निर्मित तथा कलकत्ता में नीलाम किये गए अफ़ीम की तस्करी से चीन नाीराज था । इस लड़ाई में फ्रांस ने ब्रिटेन का साथ दिया ।
हिन्दी मे अनुवाद(original:http://en.wikipedia.org/wiki/Opium_Wars) अफ़ीम युध या Anglo-Chinese war यह दो युद्ध/लड़ाईयाँ १८०० के मध्य मे लम्बे समय से चीन और ब्रिटेन के बीच चल रहे विवादो की चरमावस्था में पहुचने के कारण हुआ । और दूसरी बार फ़्रांस ब्रिटेन के साथ-साथ लड़ा । इस द्वंद्व की शुरुआात ब्रिटेन की चीन के साथ व्यापार मे आई कमी और ब्रिटेन द्वारा चीन मे अफ़ीम की तस्करी को ले कर हुई ।
१६ शताब्दी मे चीन और यूरोप के बीच सीधा समुद्री व्यापार शुरु हो गया था । पुर्तगालियो के भारत में गोवा उपनिवेश बनाने के बाद, जल्द ही मकाउ भी अनुसरण करते हुए दक्षिणी-चीन मे अपना उपनिवेश बनाया । स्पेन ने जब फिलिपीन(Philippines) को अधिग्रहण, तब चीन और पश्चिम देशो के बीच लेन-देन बड़ी तेज़ी से और बड़े नाट्कीय तरीके से बड़ा । Manila galleons( यह व्यापार के जाहाज जो कि फिलिपीन और स्पेन के बीच चलते थे)इतना चाँदी का सामान चीन लाते थे जितना की वो प्राचीन धरती एशिया(the Silk Road)मे लाते थे । Qing government(कभी-२ इसे Manchu Dynasty के नाम से जाना है, इन्होने १६४४-१९११ के बीच चीन मे राज किया ।)बहारी संसार से सीमित सम्पर्क ही रखना चाहता था ताकी कोई उनके भीतरी मामलो मे दखल ना दे । Qing सिर्फ़ Canton के बंदरगाह(now Guangzhou)से ही व्यापार कि आनुमति देते थे । बड़े कठिन कानून के साथ सिर्फ़ अनुज्ञा-प्राप्त एकाधिकारियो को ही व्यापार करने की अनुमती थी । इसका परिणाम यह हुआ कि आयातित खुदरा सामग्री के भारी दाम और कर(tax) जोकि आम आदमी नही खरीद सक्ता था । इसकी वजह से आयातित सामान की सीमित मांग थी । तभी घाटे से बचने के लिये स्पेन ने चीनी लोगों को अफ़ीम बेचने लगे, साथ ही तम्बाकू और कई नशिली चीज़े भी बेचने लगे ।