अवयवों का प्रयोजन

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  • कालनरस्यावयवान्पुरुषाणां कल्पयेत्प्रसवकाले,सदसद्ग्रहसंयोगात्पुष्टान्सोपद्र्वांश्चापिं ॥ सारावली
  • जीवों के जन्म काल में पूर्वोक्त अवयवों का विचार इस प्रकार करना चाहिये,जो अवयव शुभ ग्रह से युत या द्रष्ट हों तो वह अंग जातक का पुष्ट होगा. पाप ग्रह से पीडित या द्रिष्ट हो तो उस अंग का दुर्बल,कमजोर,पीडायुक्त समझना चाहिये.
  • सारांश:-भदावरी ज्योतिष जव जातक जन्म लेता है तो जातक के जन्म के समय जो लगन होती है,उसे के अनुसार जातक का अंग मजबूत होता है,जैसे किसी का जन्म मेष लगन में हुआ है तो जातक का सिर मेढा की तरह से मजबूत होगा,और अगर किसी प्रकार से किसी खराब ग्रह की द्रिष्टि सिर पर होगी तो जातक सिर की पीडा,या सिर के रोग से गॄसित होगा.

Astrobhadauria १६:२९, १ सितंबर २००७ (UTC)