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देवताओं के चिकित्‍सक भगवान धन्‍वन्‍तरि को आयुर्वेद का आदि पुरूष माना जाता है । हिन्‍दू धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार ये भगवान विष्‍णु के अवतार समझे जाते हैं। इनका पृथ्‍वी लोक में अवतरण समुद्र मन्‍थन के समय हुआ था। दीपावली के दो दिन पूर्व ‘’धन तेरस’’ को भगवान धनवन्‍तरि देव का जन्‍म हुआ है, ऐसी मान्‍यता हिन्‍दू समाज में है। इन्‍हें भगवान विष्‍णु का रूप कहते हैं जिनकी चार भुजायें हैं। उपर की दोंनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किये हुये हैं। जबकि दो अन्‍य भुजाओं मे से एक में जलूका और औषध तथा दूसरे मे अमृत कलश लिये हुये हैं। इन्‍हे आयुर्वेद की चिकित्‍सा करनें वाले वैद्य ‘’ आरोग्‍य का देवता’’ कहते हैं। आयुर्वेद के प्रणेता।

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