होरा शब्दार्थ
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”’होरा शब्दार्थ”’
- कर्मफ़ललाभहेतुं चतुरा: संवर्णयन्त्यन्ये,होरेति शास्त्रसंज्ञा लगनस्य तथार्धराशेश्च ॥सारावली
- विद्वान लोग होरा शास्त्र को शुभ और अशुभ कर्म फ़ल की प्राप्ति के लिये उपयोग करते हैं,लग्न और राशि के आधे भाग (१५ अंश) की होरा संज्ञा होती है.
- सारांश:-भदावरी ज्योतिष सूर्य की होरा राजसेवा के लिये उत्तम है,चन्द्रमा की होरा सर्व कार्य सिद्ध करने के लिये शुभ है,मंगल की होरा युद्ध,कलह,विवाद,लडाई झगडे के लिये,बुध की होरा ज्ञानार्जन के लिये शुभ है,गुरु की होरा विवाह के लिये,शुक्र की होरा विदेशवास के लिये,शनि की होराधन और द्रव्य इकट्ठा करने के लिये शुभ है.