अवकूट

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अवकूट या लैपीज़ का निर्माण तब होता हैं जब कार्स्ट क्षेत्रों में जल जी घुलन क्रिया के कारण ऊपरी बाह्य सतह अत्यधिक ऊबड-खाबड एवं पतली शिखरिकाओं तथा संकरे गड्ढ़ों वाली हो जाती हैं । इनका निर्माण हो जाने के बाद चूना पत्थर की सतह इतनी असमान हो जाती हैं कि उस पर बिना जुतों के चलना बडा कठिन हो जाता हैं । इंग्लैण्ड में इसे क्लिंट तथा जर्मनी में कैरेल कहा जाता हैं ।


भूमिगत जल कृत स्थलाकृति पृथ्वी
अपरदनात्मक स्थलरुप
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निक्षेपात्मक स्थलरुप
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