कम्प्यूटर प्रोग्राम

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कम्प्यूटर प्रोग्राम किसी कार्य विशेष को कम्प्यूटर द्वारा कराने अथवा करने के लिये कम्प्यूटर को समझ आने वाली भाषा मे दिये गए निर्देशो के समूह होता है।

अनुक्रमणिका

[संपादित करें] प्रोग्रामिंग

किसी कार्य विशेष को कम्प्यूटर द्वारा कराने अथवा करने के लिये निर्देशो के समूह को क्रमबद्ध करके कम्प्यूटर को समझ आने वाली भाषा मे प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को प्रोग्रामिंग कहते है। प्रोग्रामिंग system development चक्र का एक महत्वपूर्ण चरण है और यह तब प्रारंभ होता है जब किसी प्रोग्राम को तैयार कर लिया जाता है एवं उसके समस्त निर्दिष्टीकरण पूर्ण हो चुके हो।

[संपादित करें] प्रोग्रामिंग के विभिन्न चरण

किसी भी प्रोग्राम की प्रोग्रामिंग करने के लिये सर्वप्रथम प्रोग्राम के समस्त निर्दिष्टीकरण को भली-भॉंति समझ लिया जाता है।प्रोग्राम मे प्रयोग की गई सभी शर्तो का अनुपालन सही प्रकार से हो रहा है या नही,यह भी जांच लिया जाता है।अब प्रोग्राम के सभी निर्दिष्टीकरण को जांचने-समझने के उपरांत प्रोग्राम के शुरू से वांछित परिणाम प्राप्त होने तक के सभी निर्देशो को विधिवत क्रमबध्द कर लिया जाता है अर्थात प्रोग्रामो की डिजाइनिंग कर ली जाती है।प्रोग्राम की डिजाइन को भली-भांति जांचकर ,प्रोग्राम की कोडिंग की जाती है एवं प्रोग्राम को कम्पाईल किया जाता है।प्रोग्राम को टेस्ट डाटा इनपुट करके प्रोग्राम की जांच की जाती है कि वास्तव मे सही परिणाम प्राप्त हो रहा है या नही।यदि परिणाम सही नही होते है तो इसका अर्थ है कि प्रोग्राम के किसी निर्देश का क्रम गलत है अथवा निर्देश किसी स्थान पर गलत दिया गया है।यदि परिणाम सही प्राप्त होता है तो प्रोग्राम मे दिये गये निर्देशो के क्रम को एकबध्द कर लिया जाता है एवं निर्देशो के इस क्रम को कम्प्यूटर मे स्थापित कर दिया जाता है । इस प्रकार प्रोग्रामिंग की सम्पूर्ण प्रक्रिया सम्पन्न होती है।

[संपादित करें] प्रोग्राम के लक्षण

किसी भी उच्च कोटि के प्रोग्राम मे निम्नांकित लक्षण वांछनीय होते है-

  1. शुध्दता-कोइ भी प्रोग्राम अपने उद्देश्य को पूर्ण करता हुआ होना चाहिए।प्रोग्राम मे वांछित परिणाम को प्राप्त करने की प्रक्रिया एवं निर्देश पूर्ण रूप से सत्य एवं दोष रहित होने चाहिए ,अर्थात यदि किसी इनपुट से गलत परिणाम प्राप्त होता है तो प्रोग्राम पर कार्य करने वाला उपयोक्ता निश्चय ही यह जान ले कि उससे डाटा इनपुट करने मे ही कोइ गलती हुइ है क्योंकि सही इनपुट से सही परिणाम अवश्य प्राप्त होता है।
  2. विश्वसनीयता-प्रोग्राम की विश्वसनीयता से तात्पर्य है कि प्रयोगकर्ता इस पर कार्य करते समय यदि कोइ त्रुटि करता है तो उसे इस गलती से संबंधित स्पष्ट त्रुटि संदेश प्राप्त होना चाहिये ताकि वह उस त्रुटि को ठीक करके अपना कार्य सुचारू रूप से कर सकें।
  3. सक्षमता-प्रोग्राम विभिन्न स्त्रोतो से प्राप्त डाटा के प्रबन्धन मे सक्षम होना चाहिये।
  4. प्रयोग करने मे सुगम -प्रोग्राम मे दिये गये निर्देश इस प्रकार व्यवस्थित होने चाहिये कि प्रयोगकर्ता को इस पर कार्य करने मे समस्याओ का सामना न करना पडे।प्रोग्राम को प्रयोग करने मे समस्त संभावित समस्याओ को हल करके कार्य को आगे बढाने के लिये सहायता प्रयोगकर्ता को प्रोग्राम मे ही उपलब्ध होनी चाहिये।
  5. पठनीयता-प्रोग्राम की पठनीयता से तात्पर्य है कि प्रयोगकर्ता को प्रोग्राम पर कार्य करते समय विभिन्न परिवर्तनांको के लिये स्पष्ट सूचनायें प्राप्त हो;अर्थात यदि प्रोग्राम मे किसी स्थान पर name इनपुट करना है तो प्रोग्राम ,ए उसका परिवर्तनांक name अथबा इससे मिलता- जुलता होना चाहिये ताकि प्रयोगकर्ता यह समझ सके कि उसे यहां पर name इनपुट करना है।

[संपादित करें] कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग किस प्रकार की जाती है?