भोजली गीत

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भोजली गीत छत्तीसगढ़ का एक लोकगीत भी है। छत्तीसगढ़ के महिलाएँ ये गीत सावन के महीने में गाती है। सावन का महीना, जब चारों ओर हरियाली दिखाई पड़ती है तब गाँव में भोजली का आवाज़ें हर ओर सुनाई देती हैं। भोजली याने भो-जली। इसका अर्थ है भूमि में जल हो। यहीं कामना करती है महिलायें इस गीत के माध्यम से। इसीलिये भोजली देवी की अर्थात प्रकृति की पूजा करती है। [१] एक भोजली में कहा गया है-

पानी बिना मछरी।

पवन बिना धाने।

सेवा बिना भोजली के

तरसे पराने।


[संपादित करें] संदर्भ

  1. भोजली (एचटीएम)। टीडीआईएल। अभिगमन तिथि: 24 जुलाई, 2007