दलित साहित्य
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दलित साहित्य में हम उस साहित्य की बात करतें हैं जो साहित्य समाज के उस वर्ग के विषय या बारे में लिखा जाता हैं जो सदियों तक सामाजिक जंजीरों मे जकड़े रहे, जिन्हे शिक्षा, समानता, स्वतंत्रता, सदभावना, आदि से महरुम रखा गया | अपने ही धर्म के महत्वपूर्ण भाग होते हुए भी जिन्हे अपने ही धर्म मे अछुत माना गया । दलित साहित्य में इसी दशा को कुछ शिक्षित दलितो ने साहित्य के रूप मे उकेरा तथा आम जनता तक अपनी भावनाओं को लेखों, कविताओं, निबन्धों, जीवनियों,कटाक्छों, व्यंगों, कथाओं आदि के रुप में पहुंचाया |
[संपादित करें] प्रमुख दलित साहित्यकार
- बिहारी लाल हरित
- महाशय नत्थु राम ताम्र मेली
- प्रोफ़ेसर शत्रुघ्न कुमार
- राज पाल सिंह राज