पाणिनि

विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से

पाणिनि (५०० ई पू) संस्कृत व्याकरण के विद्वान थे। इनका जन्म तत्कालीन उत्तर पश्चिम भारत के गांधार में हुआ था। इनके व्याकरण का नाम अष्टाध्यायी है ।

अनुक्रमणिका

[संपादित करें] समयकाल

इनका समयकाल अनिश्चित तथा विवादित है । इतना तय है कि ६वीं सदी ईसा पूर्व के बाद और चौथी सदी ईसापूर्व से पहले की अवधि में इनका अस्तित्व रहा होगा । ऐसा माना जाता है कि इनका जन्म पंजाब के शालातुला में हुआ था जो आधुनिक पेशावर (पाकिस्तान) के करीब है । इनका जीवनकाल ५२०-४६० ईसा पूर्व माना जाता है ।

पाणिनि के जीवनकाल को मापने के लिए यवनानी शब्द के उद्धरण का सहारा लिया जाता है । इसका अर्थ यूनान की स्त्री या यूनान की लिपि से लगाया जाता है । गांधार में यवनो (Greeks) के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी सिकंदर के आक्रमण के पहले नहीं थी । सिकंदर भारत में ईसा पूर्व ३३० के आसपास आया था । पर ऐसा हो सकता है कि पाणिनि को फारसी यौन के ज़रिये यवनों की जानकारी होगी और पाणिनि दारा प्रथम (शासनकाल - ५२१-४८५ ईसा पूर्व) के काल में भी हो सकते हैं । प्लूटार्क के अनुसार सिकन्दर जब भारत आया था तो यहां पहले से कुछ यूनानी बस्तियां थीं ।

[संपादित करें] लेखन

ऐसा माना जाता है कि पाणिनि ने लिखने के लिए किसी न किसी माध्यम का प्रयोग होगा क्योंकि उनके द्वारा प्रयुक्त शब्द काफी क्लिष्ट थे तथा बिना लिखे उनका विश्लेषण संभव नहीं लगता है । कई लोग कहते है कि उन्होंने अपने शिष्यों की स्मरण शक्ति प्रयोग अपनी लेखन पुस्तिका के रूप में किया था । भारत में लिपि का दुबारा प्रयोग (सिन्धु घाटी सभ्यता के बाद) ६ठी सदी ईसा पूर्व में हुआ और ब्राह्मी लिपि का प्रथम प्रयोग दक्षिण भारत के तमिलनाडु में हुआ जो उत्तर पश्चिम भारत के गांधार से दूर था। गांधार में ६ठी सदी ईसा पूर्व में फारसी शासन था और ऐसा संभव है कि उन्होने आर्माइक वर्णों का प्रयोग किया होगा ।

[संपादित करें] कृतियां

पाणिनि का संस्कृत व्याकरण चार भागों में है -

पतञ्जलि ने पाणिनि के अष्टाध्यायी पर अपनी टिप्पणी लिखी जिसे महाभाष्य का नाम दिया (महा+भाष्य(समीक्षा,टिप्पणी,विवेचना,आलोचना)) ।

[संपादित करें] यह भी देखें

[संपादित करें] बाह्य कडियां