भारतीय संविधान

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भारत राज्‍यों का एक संघ है। य‍ह संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक स्‍वतंत्र प्रभुसत्ता सम्‍पन्‍न समाजवादी लोकतंत्रात्‍मक गणराज्‍य है। यह गणराज्‍य भारत के संविधान के अनुसार शासित है जिसे संविधान सभा द्वारा 26 नवम्‍बर, 1949 को पारित किया गया तथा जो 26 जनवरी , 1950 से प्रभावी हुआ। २६ जनवरी भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनायी जाती है।

भारत का संविधान दुनिया का सबसे बडा लिखित संविधान है। इसमें ३९५ अनुच्छेद तथा १२ अनुसूचियां हैं।

संविधान में सरकार के संसदीय स्‍वरूप की व्‍यवस्‍था की गई है जिसकी संरचना कतिपय एकात्‍मक विशिष्‍टताओं सहित संघीय हो। केन्‍द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्‍ट्रपति है। भारत के संविधान की धारा 79 के अनुसार, केन्‍द्रीय संसद की परिषद् में राष्‍ट्रपति तथा दो सदन है जिन्‍हें राज्‍यों की परिषद् राज्‍य सभा तथा लोगों का सदन लोक सभा के नाम से जाना जाता है। संविधान की धारा 74 (1) में यह व्‍यवस्‍था की गई है कि राष्‍ट्रपति की सहायता करने तथा उसे सलाह देने के लिए एक मंत्री परिषद् होगी जिसका प्रमुख प्रधान मंत्री होगा, राष्‍ट्रपति सलाह के अनुसार अपने कार्यों का निष्‍पादन करेगा। इस प्रकार वास्‍तविक कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद् में विहित है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री है।

मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से लोगों के सदन (लोक सभा) के प्रति उत्तरदायी है। प्रत्‍येक राज्‍य में एक विधान सभा है। कुछ राज्‍यों में एक ऊपरी सदन है जिसे राज्‍य विधान परिषद् कहा जाता है। राज्‍यपाल राज्‍य का प्रमुख है। प्रत्‍येक राज्‍य का एक राज्‍यपाल होगा तथा राज्‍य की कार्यकारी शक्ति उसमें विहित होगी। मंत्रिपरिषद्, जिसका प्रमुख मुख्‍य मंत्री है, राज्‍यपाल को उसके कार्यकारी कार्यों के निष्‍पादन में सलाह देती है। राज्‍य की मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से राज्‍य की विधान सभा के प्रति उत्तरदायी है।

संविधान में संविधान की सातवीं अनुसूची में प्रविष्टियों की सूचियों के अनुसार संसद तथा राज्‍य विधायिकाओं के बीच विधायी शक्तियों का वितरण किया गया है। अवशिष्‍ट शक्तियाँ संसद में विहित हैं। केन्‍द्रीय प्रशासित भू- भागों को संघराज्‍य क्षेत्र कहा जाता है।


अनुक्रमणिका

[संपादित करें] इतिहास

[संपादित करें] कैबिनेट मिशन

द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जुलाई, १९४५ में ब्रिटेन में एक नयी सरकार बनी। नयी सरकार ने भारत संबन्धी अपनी नीति की घोषणा की तथा एक संविधान निर्माण करने वाली समिति बनाने का निर्णय लिया। भारत की आजादी के सवाल का हल निकालने के लिये तीन ब्रिटिश कैबिनेट मंत्री भारत भेजे गये। मंत्रियों के इस दल को कैबिनेट मिशन के नाम से जाना जाता है। १५ अगस्त, १९४७ को भारत के आजाद ओ जाने के बाद यह संविधान सभा पूर्णतः प्रभुतासंपन्न हो गयी।इस सभा ने अपना कार्य ९ दिसम्बर १९४७ से आरम्भ कर दिया।


[संपादित करें] संविधान सभा

संविधान सभा ने चुने हुए सदस्यों की सभा थी जिसने भारत का संविधान बनाया। भारत के नागरिकों ने प्रान्तीय विधान सभाओं के सदस्य चुने। फिर इन चुने हुए सदस्यों ने संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव किया। जवाहरलाल नेहरू, डा राजेन्द्र प्रसाद, सरदार बल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। अनुसूचित वर्गों से ३० से ज्यादा सदस्य इस सभा में शामिल थे।

श्री सच्चिदानन्द सिन्हा इस सभा के प्रथम् सभापति थे किन्तु बाद में श्री राजेन्द्र प्रसाद को सभापति निर्वाचित किया गया। बाबा साहब अम्बेडकर को निर्मात्री समिति का अध्यक्ष चुना गया था। संविधान सभा ने २ वर्ष, ११ माह, १८ दिन मे कुल १६६ दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी।


[संपादित करें] भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषतायें

[संपादित करें] बाहरी कडियाँ

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