अमरनाथ गुफा
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
५४८६ मीटर ऊंचा भारतवर्ष मे उत्तर मे अमरनाथ नामक पहाड है,इस पहाड पर ४००० मीटर की ऊंचाई पर अमरनाथ नामक बर्फ़ीली गुफ़ा है,यह गुफ़ा साल भर बर्फ़ से ढकी रहती है,और गर्मी के अन्त मे यह गुफ़ा श्रावण के महिने मे एक माह के लिये खुलती है,यह गुफ़ा हिन्दू तीर्थ स्थानो मे एक है,और भगवान शिव,पारवती,और उनके पुत्र गणेशजी की आराधना के लिये पवित्र तीर्थ स्थान के रूप मे जानी जाती है.सि गुफ़ा में तीन बर्फ़ीले शिव लिन्ग के आकर के पिण्ड बनते हैं,जिनमे बडा पिण्ड भगवान शिव,और उससे छोटा माता पारवती,और सबसे छोटा भगवान गणेशजी के रूप मे माना जाता है.हिन्दू मान्यता के अनुसार इन पिण्ड रूपी लिन्गों का बडा होना और छोटा होना,चन्द्रमा की कलाओं के ऊपर निर्भर करता है,जैसे जैसे चन्द्रमा क्षीण होता है,लिन्ग का आकार छोटा होता जाता है,और जैसे जैसे चन्द्रमा उच्च का होता जाता है,लिन्ग का आकार बडा होता जाता है.श्रावण मास मे हजारों हिन्दू,मुसलमान,सिक्ख,ईसाई,और संसार के सभी धर्मों के लोग इस गुफ़ा मे जाकर बने हुए शिवलिन्ग का दर्शन करते है.कम तापमान और बहुत ऊंचा स्थान होने के कारण यह गुफ़ा दुर्गम स्थानों मे मानी जाती है,और यात्रा करना खतरे से खाली नही होता है,सन १९९६ मे एक तूफ़ान मे २९६ लोगों की मौत के बाद लोगों मे इस गुफ़ा मे जाते समय हमेशा खौफ़ ही रहता है.यह गुफ़ा काश्मीर की लिड्डर घाटी मे स्थित है और पहलगाम नामक स्थान से ४५ किलोमीटर,श्रीनगर से १४१ किलोमीटर और पंचतरणी से ६ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.बाल्टाल नामक स्थान से इस गुफ़ा के लिये हाल मे ही हेलीकाप्टर सुविधा भी दी जाने लगी है. इस गुफ़ा के लिये एक कहानी कही जाती है,कि भगवान शिव न जीवन के लिये अमरकथा पारवती को इसी गुफ़ा मे सुनाई थी,जिसे एक कबूतर के जोडे ने सुना था,और वे दोनो कबूतर अमर होकर आज भी इस गुफ़ा मे निवास करते है,और यात्रा के बाद इस गुफ़ा मे देखे जा सकते हैं.दूसरी वैदिक गाथा मे कश्यप ॠषि ने एक महान झील का निर्माण किया था,जो बाद मे चल कर काश्मीर घाटी के नाम से जानी गई.
श्रेणियाँ: अमरनाथ गुफा | गुफा | शिव | मंदिर