हरित क्रांति

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देश में हरित क्रांन्ति की शुरुआत सन १९६६-६७ से उई । हरित क्रांन्ति प्रारम्भ करने का श्रेय नोबल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर नारमन बोरलाग को जाता हैं । हरित क्रांन्ति से अभिप्राय देश के सिंचित एवं असिंचित क्रषि क्षेत्रों में अधिक उपज देन वाले संकर तथा बौने बीजो के उपयोग द्वारा तेजी से क्रषि उत्पादन में व्रद्धि करना हैं ।

अनुक्रमणिका

[संपादित करें] हरित क्रांन्ति के चरण

  • प्रथम चरण (१९६६-६७ से १९८०-८१)
  • दूसरा चरण (१९८०-८१ से १९९६-९७)

[संपादित करें] हरित क्रांन्ति की विशेषताएं

  • अधिक उपज देने वाली किस्में
  • सुधरे हुए बीज
  • रासायनिक खाद
  • गहन क्रषि जिला कार्यक्रम
  • लघु सिंचाई
  • क्रषि शिक्षा
  • पौध संरक्षण
  • फसल चक्र
  • भूसंक्षण
  • किसानों को बेंको की सुविधायं

[संपादित करें] हरित क्रांन्ति का फसलों पर प्रभाव

[संपादित करें] हरित क्रांन्ति से प्रभावित राज्य