कृष्ण विवर
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किसी कृष्ण विवर का simulated चित्र। इस विवर का द्रव्यमान 10 सुर्य के बराबर है,तथा 600 कि मी की दूरि से लिया गया चित्र प्रदर्शित है। इस दूरी पर स्थापित रहने के लिये कम से कम 600 मिलीयन g का त्वरण आवश्य्क है .[१]
कृष्ण विवर अन्तरिक्ष का वह हिस्सा होता है जहाँ गुरुत्वीय क्षेत्र इतना प्रबल होता है कि इसमे से कुछ भी परायण नही कर सकता यहाँ तक कि विद्युत-चुम्बकीय तरंगे (उदा0 प्रकाश) भी नही । यद्यपि इनकी उपस्थिति का ज्ञान इनके अन्य पदार्थों के साथ परस्पर क्रिया द्वारा किया जा सकता है
हालांकि इतने शक्तिशाली गुरुत्वीय क्षेत्र का विचार १८ वी सदी का है परन्तु वर्त्तमान मे कृष्ण विवर आइंस्टाइन के सापेक्षता के सिद्धांत पर ही समझाए जाते हैं.