अति सूक्ष्म राशि
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
जब लैबनितज़ ने कलन क़ी स्थापना क़ी, तो उसने "अति सूक्ष्म राशि" क़ी सदुपयोग की| उदाहरण: f′(x) अवकलज है इस फलन का f(x) = x2
लेकिन ईसाई पादरी बार्क्ली ने इस दावे की सख़्त निंदा की, इसीलिए कि dx शून्य के बराबर है, तो उससे भागफल निकालना असंभव होना चाहिए| आधुनिक गणित में दो तरीक़े हैं जिससे अति सूक्ष्म राशि बिना प्रतिवाद प्रयोग में लिए जा सकते हैं| एक है रॉबिनसन का नियत-से-बाहर कलन और दूसरा है मोर्दीक और रेस का बिना झटके का कलन ("smooth infinitesimal analysis")|