स्वामी रामदेव
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स्वामी रामदेव वर्तमान समय में भारत ही नहीं वरन सारे विश्व में योग गुरू के रूप में विख्यात हैं। उन्होने योगासन और प्राणायाम की सरल विधियां बताकर इस क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है। स्वामी रामदेव जगह-जगह योग शिविर का आयोजन करते हैं जिसमें लाखों लोग भाग लेते हैं।
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[संपादित करें] जीवन चरित
रामदेव जी का जन्म हरियाणा के महेन्द्रगढ जनपद में अलिपुर नामक स्थान पर हुआ था। उनके बचपन का नाम रामकृष्ण यादवथा। उन्होने आंठवी कक्षा तक की शिक्षा पूरी करने के उपरान्त खानपुर गांव के एक गुरुकुल में संस्कृत और योग की शिक्षा ली। आगे चलकर उन्होने सन्यास धारण् कर लिया और स्वामी रामदेवके नाम से विख्यात हुए।
रामदेव जी ने सन् १९९५ से योग को लोकप्रिय और सर्वसुलभ बनाने के लिये अथक परिश्रम करना आरम्भ किया । उन्होने आचार्य करमवीर के साथ मिलकर दिव्य मन्दिर ट्रस्ट की स्थापना की।
[संपादित करें] स्वामी रामदेव के प्रमुख कार्य
स्वामी रामदेव ने किशनगढ, घसेरा तथा महेन्द्रगढ में गुरुकुलों की स्थापना की। उन्होने पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की स्थापना की। इन संस्थाओं के माध्यम से वे योग, प्राणायाम, अध्यात्म आदि के साथ-साथ आयुर्वेद का भी प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।
उनके प्रवचन विभिन्न टी वी चैनेलों , जैसे आस्था, जी-नेटवर्क, सहारा-वन तथा इण्डिया टी वी पर प्रसारित होते हैं।
[संपादित करें] प्राणायाम
स्वामी रामदेव प्रमुखतः निम्नलिखित पांच प्राणायाम सिखाते हैं-
- भस्त्रिका प्राणायाम
- कपाल भाति प्राणायाम
- अनुलोम-विलोम प्राणायाम
- भ्रामरी प्राणायाम
- उद्गीत प्राणायाम
- अग्निसार प्राणायाम
[संपादित करें] बाहरी कडियां
दिव्य योग मन्दिर ट्रस्ट - योग गुरू स्वामी रामदेव जी द्वारा स्थापित ट्रस्ट का जालघर (अंग्रेजी)