श्रीरामकृष्ण परमहंस

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श्रीरामकृष्ण परमहंस महान् संत थे। उनका जीवन सादगी भरा और नितांत आध्यात्मिक था। मनुष्य मात्र के लिए उनका जीवन आदर्श था। ईश्वरीय भाव उनके लिए श्वासोच्छ्वास के समान सहज व स्वाभविक था। श्रद्धालु उन्हें विष्णु का साक्षात् अवतार मानते हैं। वे स्वामी विवेकानंद के आध्यात्मिक गुरू के रूप में भी जाने जाते हैं।

श्रीरामकृष्ण परमहंस के अध्यात्म-गर्भित उपदेश सार्वकालिक और सार्वलौकिक हैं। वे जीवनपर्यंत सभी श्रद्धालुओं को 'कामिनी' और 'कांचन ' से दूर रहने का उपदेश देते रहे और कहा कि ये दोनों चीजें ईश्वर-प्राप्ति में बाधक हैं।

उनके अद्भुत् और प्रेरक जीवन के संबंध में प्रामाणिक जानकारी का सबसा बड़ा स्रोत 'श्रीरामकृष्ण कथामृत' (बंगला में) नामक ग्रंथ है जिसके हिन्दी अनुवाद का नाम 'श्रीरामकृष्ण वचनामृत' और अंग्रेजी अनुवाद का नाम 'The Gospel of Sri Ramkrishna' है।



अनुक्रमणिका

[संपादित करें] जन्म

श्रीरामकृष्ण परमहंस का जन्म 17 फरवरी 1836 (शकाब्द 1757, फाल्गुन मास की शुक्लपक्ष द्वितीया) को तदानीन्तन हुगली प्रांत के कामारपुकुर गाँव में हुआ था।

[संपादित करें] पारिवारिक पृष्ठभूमि

[संपादित करें] बचपन

[संपादित करें] अध्ययन

[संपादित करें] साधना-पथ

[संपादित करें] ईश्वर-साक्षात्कार

[संपादित करें] अनुयायी और शिष्य

[संपादित करें] उपदेश