काला पानी

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भारत की आजादी के लिए लड़ी गई 1857 की पहली रक्तरंजित क्रान्ति और सशस्त्र संघर्ष के बाद भारतीयों पर अंग्रेजी सरकार का दमनचक्र और तेज हो गया था। देश की जनता पर बर्बरता से जुल्म ढाए जाने लगे। इससे क्रान्तिकारियों में आक्रोश की ज्वाला भड़क उठी। सम्पूर्ण भारत में जबर्दस्त जन-आन्दोलन शुरू हो गया। वीर सावरकर के नेतृत्व में एक सशक्त क्रन्तिकारी दल का गठन किया गया। इस दल द्वारा अनेक अंग्रेज और उनके देशी पिट्ठुओं की हत्याएं की गई। गोरी सरकार इससे बौखला उठी और तुरन्त हरकत में आई और इनके दमन के लिए पूरे देश में पुलिस द्वारा मुखबिर छोड़े गए। उन्हीं की सहायता से अनेक क्रान्तिकारी पकड़े गए और उन पर मुकदमे चले। सैकड़ों क्रान्तिकारियों को फांसी की सजा दी गई और हजारों को आजीवन कारावास। आजीवन कारावाज की सजा पाए क्रान्तिकारियों को बंगाल की खाड़ी का अथाह समुद्र, जो यहां बिल्कुल काला नजर आता है, के बीच में बने टापुओं में छोड़ा जाता था। यहीं बनी थीं वो कालकोठरियां जिनमें क्रान्तिकारियों को दिल दहला देने वाली अमानवीय यातनाएं दी जाती थीं। यही थी कालापानी की सजा।


[संपादित करें] सेल्यूलर जेल

इस जेल का निर्माण 1906 में क्रान्तिकारियों को यातनाएं देने के लिए कराया गया था। यहां देशभर से आजीवन कारावास (काला पानी) की सजा पाए भारतीय कैदियों को यातना देने के लिए लाया जाता था। चूंकि इस जेल की अन्दरूनी बनावट सेल (कोटरी) जैसी है, इसीलिए इसे सेल्यूलर जेल कहा गया है। संरचना की दृष्टि से देखा जाए तो इस जेल के बीच में एक टावर बना है, जिससे सात भुजाएं निकली हैं जो टावर से गलियारे के माध्यम से जुड़ी हैं। यहां से कैदियों पर सख्त निरानी रखी जाती थी।

इसमें देश के विभिन्न भागों से लाए गए स्वतंत्रता सेनानियों को नजरबंद रखा जाता था। उन्हें यहां कठोर दिल दहला देने वाली यातानाएं दी जाती थीं, जिनमें चक्की पीसना, कोल्हू पर तेल पिराई करना, पत्थर तोड़ना, लकड़ी काटना, एक हफ्ते तक हथकड़ियां बांधे खड़े रहना, तन्हाई के दिन बिताना, चार दिन तक भूखा रखना, दस दिनों तक क्रासबार की स्थिति में रहना आदि शामिल थे। तेल पिराई मिल में काम करना तो और भी कष्टकारी था। प्राय यहां सांस लेना बड़ा कठिन होता था। जबान सूख जाती थी। दिमाग सुन्न हो जाता था। हाथों पर छाले पड़ जाते थे। कई कैदियों की इसमें जान जा चुकी थी। उनका अपराध क्या था ? वे अपनी मातृभूमि से प्यार करते थे और उसे अंग्रेजी दासता से मुक्त कराना चाहते थे, यही ना ?