आदि शंकराचार्य

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आदि शंकराचार्य
तिथि 509 से 477 ई॰पू॰ [१]
जन्मस्थान कलड़ी, केरल, भारत
दर्शन अद्वैत वेदांत
गुरू गोविंद भगवत्पाद
प्रभाव हिंदू धर्म, हिंदू दर्शन
प्रणेता दशनामी संप्रदाय, षणमत

आदि शंकराचार्य - जिन्हें शंकर भगवद्पादाचार्य के नाम से भी जाना जाता है, वेदांत के अद्वैत मत के प्रणेता थे। उनके विचारोपदेश आत्मा और परमात्मा की एकरूपता पर आधारित हैं जिसके अनुसार परमात्मा एक ही समय में सगुण और निर्गुण दोनों ही स्वरूपों में रहता है। स्मार्त संप्रदाय में आदि शंकराचार्य को शिव का अवतार माना जाता है।

अनुक्रमणिका

[संपादित करें] जीवन

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[संपादित करें] दर्शन और विचार

मुख्य लेख: अद्वैत मत

[संपादित करें] संक्षेप में अद्वैत मत

[संपादित करें] ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रभाव

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  1. इस विषय पर कुछ विवाद है तपस्यानन्द, स्वामी (२००२)। शंकर दिग्विजय, १५-२४। यह तिथि देते हैं। देखें तिथियाँ

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