सदस्य वार्ता:जयप्रकाश मानस
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
मुझे आप जयप्रकाश मानस के नाम से जान ही चुके हैं । मैं पेशे से छत्तीसगढ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अधिकारी हूँ । वैसे मेरा असली परिचय यह नहीं है । मैं स्वयं को हिन्दी और उसकी प्रमुख बोली छत्तीसगढी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति का सेवक कहलाना ज्यादा पंसद करना चाहूँगा । कुछ लोग मुझे हिन्दी ललित निंबधकार एवं कवि के रूप में भी कहते हैं । मैंने अब तक 15 किताबें लिखी हैं । कुछ संस्कृति पर कुछ साहित्य पर भी । रचनाकारों, भाषाविदों, बुद्धिजीवियों के राज्य स्तरीय संगठन "सृजन-सम्मान" जैसे प्रादेशिक संगठन का संस्थापक महासचिव हूँ । यह संगठन छत्तीसगढ राज्य के शलाका-पुरूष, इतिहासविद्, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं प्रख्यात साहित्यकार स्व.श्री हरि ठाकुर के दिशाबोध में आज से 10 साल पहले गठित हुआ था । संस्था का मुख्य उद्देश्य भाषा, संस्कृति एवं साहित्य का संरक्षण एवं संवर्धन है । अब तक संस्था ने अनेक महत्वपूर्ण कार्य संपादित किये हैं । इसकी व्यापक जानकारी हमारे बेबसाईट www.srijansamman.com पर मिल सकती है ।
मुझे जब विकिपीडिया के बारे में पता चला तो मैं उसे देखे, परखे बिना नहीं रह सका । साहित्य से गहरी अभिरूचि होने के कारण मैने सर्वप्रथम हिन्दी के बिषय में जानना चाहा । मुझे दुख हुआ कि यहाँ हिन्दी साहित्य का इतिहास का पृष्ठ पूर्णतः खाली है । एक बात और जो चूभने वाली लगी, छत्तीसगढी भाषा के बारे में यहाँ कुछ भी नहीं है । मैं विकिपीडिया के आग्रह से बहुत प्रभावित हुआ हूँ कि अब ज्ञान का विस्तार हम सब मिलकर कर सकते हैं । यह स्वागतेय कदम है । मैं इसके सूत्रधारों, योजनाकारों की वंदना करता हूँ । इसलिए भी कि अब यहाँ विश्व के दूसरी सबसे बडी भाषा हिन्दी में संपूर्ण जानकारी समूचे विश्व में फैले हिन्दीभाषियों को सहज में ही प्राप्त हो सकती है । विकिपीडिया को मैं ज्ञान का प्रजातांत्रिक संस्करण कहना चाहता हूँ । मैं चाहता हूँ कि हिन्दी के विधाओं और 2 करोड लोगों की भाषा छत्तीसगढी के बिषय में कुछ योगदान दे सकूँ । जो भी मुझसे सहमत है वह मेरे ई-मेल पर (rathjayprakash@gmail.com)पर चर्चा कर सकते हैं । मैं उन्हें ज्ञानदूत मानकर स्वागत करता हूँ । ज्ञानवृद्धि में संलग्न सभी साथियों को भारत के नये राज्य छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर से हिन्दी प्रेमी जयप्रकाश मानस का नमस्कार....
[संपादित करें] छत्तीसगढी भाषा
जनसंख्या और भाषाः छत्तीसगढी 2 करोड लोगों की मातृभाषा है । यह पूर्वी हिन्दी की प्रमुख बोली है । छत्तीसगढी छत्तीसगढ राज्य की प्रमुख भाषा है । राज्य की 82.56 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में तथा शहरी क्षेत्रों में केवल 17 प्रतिशत लोग रहते हैं । यह निर्विवाद सत्य है कि छत्तीसगढ का अधिकतर जीवन छत्तीसगढी के सहारे गतिमान है । यह अलग बात है कि गिने-चुने शहरों के कार्य-व्यापार राष्ट्रभाषा हिन्दी व उर्दू, पंजाबी, उडिया, मराठी, गुजराती, बाँग्ला, तेलुगु, सिन्धी आदि भाषा में एवं आदिवासी क्षेत्रों में हलबी, भतरी, मुरिया, माडिया, पहाडी कोरवा, उराँव आदि बोलियो के सहारे ही संपर्क होता है । इस सबके बावजूद छत्तीसगढी ही ऐसी भाषा है जो समूचे राज्य में बोली, व समझी जाती है । एक तरह से यह छत्तीसगढ राज्य की संपर्क भाषा है । वस्तुतः छत्तीसगढ राज्य के नामकरण के पीछे उसकी भाषिक विशेषता भी है ।
छत्तीसगढी की प्राचीनताः सन् 875 ईस्वी में बिलासपुर जिले के रतनपुर में चेदिवंशीय राजा कल्लोल का राज्य था । तत्पश्चात एक सहस्त्र वर्ष तक यहाँ हैहयवंशी नरेशों का राजकाज आरंभ हुआ । कनिंघम (1885) के अनुसार उस समय का “दक्षिण कोसल” ही “महाकोसल” था और यही “बृहत् छत्तीसगढ” था, जिस में उडीसा, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के कुछ जिले, अर्थात् सुन्दरगढ, संबलपुर, बलाँगीर, बौदफुलवनी, कालाहाँडी, कोरापुट, भंडारा, चंद्रपुर, शहडोल, मंडला, बालाघाट शामिल थे । हैहयवंशियों ने इस अंचल में अर्धमागधी से विकसित बोली का प्रचार कार्य प्रारंभ किया जो यहाँ कि पूर्ववर्ती स्थानीय द्रविड आदि बोलियों पर राजकीय प्रभुत्व वाली सिद्ध हुई । इससे वे बोलियाँ बिखर कर पहाडी एवं वन्यांचलों में सिमट कर रह गई और इन्हीं क्षेत्रों में छत्तीसगढी का प्राचीन रूप स्थिर होने लगा । छत्तीसगढी के प्रांरभिक लिखित रूप के बारे में कहा जाता है कि वह 1703 ईस्वी के दंतेवाडा के दंतेश्वरी मंदिर के मैथिल पंडित भगवान मिश्र द्वारा शिलालेख में है । क्रमशः