चरक संहिता
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
चरक संहिता आयुर्वेद का एक मूल ग्रन्थ है। यह संस्कृत भाषा में है। इसके रचयिता आचार्य चरक हैं।
आचार्य चरक आयुर्वेद के विद्वान थ। उन्होंने आयुर्वेद के प्रमुख ग्रन्थों और उसके ज्ञान को इकट्ठा करके उसका संकलन किया. चरक ने भ्रमण करके चिकित्सकों के साथ बैठकें की, विचार एकत्र किए और सिद्धांतों को प्रतिपादित किया और उसे पढ़ाई लिखाई के योग्य बनाया. चरक संहिता आठ भागों में विभाजित है और इसमें 120 अध्याय हैं। चरक संहिता में आयुर्वेद के सभी सिद्धांत हैं और जो इसमें नहीं है वह कहीं नहीं है। यह आयुर्वेद के सिद्धांत का पूर्ण ग्रंथ है।
भारतीय चिकित्सा शास्त्र के तीन बड़े नाम हैं - चरक, सुश्रुत और वाग्भट्ट. चरक के नाम से जहां चरक संहिता है, वहीं सुश्रूत के नाम से सुश्रूत संहिता. चरक संहिता, सुश्रूत संहिता तथा वाग्भट्ट का अष्टांग संग्रह आज भी भारतीय चिकित्सा विज्ञान (आयुर्वेद) के मानक ग्रन्थ हैं. इन ग्रन्थों की प्रामाणिकता और प्रासंगिकता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि जहाँ ग्रीक और रोमन चिकित्सा पद्धतियों की तत्कालीन पुस्तकों के नाम स्वयं उस चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक नहीं बता सकते ये ग्रन्थ आज भी पाठ्यक्रम के अंग हैं.
[संपादित करें] वाह्य सूत्र
- चरक संहिता, मूल संस्कृत पाठ
- चरक संहिता के श्लोकों का अंग्रेजी भाष्य - भाष्यकार : डा विक्रम