सन्धिनी

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सन्धिनी
सन्धिनी
सन्धिनी
रचयिता: महादेवी वर्मा
प्रकाशक: लोकभारती प्रकाशन
भाषा: हिंदी
देश: भारत
विषय: कविता संग्रह
शैली: गीत
मीडिया प्रकार: कविता संग्रह
पृष्ठ: 165
ISBN: HB-01885


सन्धिनी महादेवी वर्मा की चुनी हुई कविताओं का संग्रह है। इस पुस्तक से परिचय करवाते हुए वे कहती हैं,

"‘सन्धिनी’ में मेरे कुछ गीत संग्रहीत हैं। काल-प्रवाह का वर्षों में फैला हुआ चौड़ पाट उन्हें एक दूसरे से दूर और दूरतम की स्थिति दे देता है। परन्तु मेरे विचार में उनकी स्थिति एक नदी-तट से प्रवाहित दीपों के समान है। दीपदान के दीपकों में कुछ, जल की कम गहरी मन्थरता के कारण उसी तट पर ठहर जाते हैं, कुछ समीर के झोके से उत्पन्न तरंग-भगिंमा में पड़कर दूसरे तट की दिया में बह चलते है और कुछ मझधार की तरंगाकुलता के साथ किसी अव्यक्त क्षितिज की ओर बढ़ते हैं। परन्तु दीपकों की इन सापेक्ष दूरियों पर दीपदान देने वाले की मंगलाशा सूक्ष्म अन्तरिक्ष-मण्डल के समान फैल कर उन्हें अपनी अलक्ष्य छाया में एक रखती है। मेरे गीतों पर भी मेरी एक आस्था की छाया है।

मनुष्य की आस्था की कसौटी काल का क्षण नहीं बन सकता, क्योंकि वह तो काल पर मनुष्य का स्वनिर्मित सीमावरण है। वस्तुतः उनकी कसौटी क्षणों की अटूट संसृति से बना काल का अजस्त्र प्रवाह ही रहेगा।

‘सन्धिनी’ नाम साधना के क्षेत्र में सम्बन्ध रखने के कारण बिखरी अनुभूतियों की एकता का संकेत भी दे सकता है और व्यष्टिगत चेतना का समष्टिगत चेतना में संक्रमण भी व्यंजित कर सकेगा।"